शारदीय नवरात्र 2024: एक ही दिन अष्टमी-नवमी, जानिए माता महागौरी और सिद्धिदात्री का पूजन, भोग विधान
पंडित लोकनाथ शास्त्री
वाराणसी: इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथियां एक ही दिन पड़ने के कारण देवी भक्तों के लिए यह दिन विशेष रूप से शुभ और महत्त्वपूर्ण हो गया है। 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार को एक साथ माता महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा और कन्या पूजन का विधान होगा। इस दिन देवी के इन दोनों रूपों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा के साथ उचित भोग का अर्पण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
माता महागौरी की पूजा और भोग विधान
माता महागौरी को शक्ति, शांति और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है। शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को उनकी पूजा विशेष फलदायी होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त श्रद्धा भाव से माता महागौरी की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
भोग विधान
- माता महागौरी को नारियल और हलवा का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- यदि आप अपने जीवन में सुख-शांति और धन-समृद्धि चाहते हैं, तो माता को गुड़ से बने पकवान अर्पित करें।
- इसके अलावा, साबूदाने की खीर भी माता महागौरी को अर्पण की जाती है। इससे माता का आशीर्वाद मिलता है और घर में समृद्धि आती है।
मां सिद्धिदात्री की पूजा और भोग विधान
मां सिद्धिदात्री नवरात्रि की नवमी तिथि को पूजा जाने वाला अंतिम रूप हैं, जिन्हें सिद्धियों की देवी कहा जाता है। उनकी पूजा से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं और भक्त को भौतिक तथा आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार की सफलताएं मिलती हैं।
भोग विधान
- मां सिद्धिदात्री को तिल और सफेद मिठाई विशेष रूप से प्रिय होती है। तिल से बने लड्डू या अन्य मिठाई का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
- सिंदूर और ध्यान-धूप के साथ किसमिस और सूखे मेवे का भोग भी माता को प्रसन्न करता है।
- मां सिद्धिदात्री को चने और पूड़ी का भोग अर्पण करने का विधान भी है, जिससे सभी प्रकार के रोग-शोक दूर होते हैं।
कन्या पूजन का महत्व और भोग
इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ने के कारण कन्या पूजन भी इसी दिन संपन्न किया जाएगा। नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे माता की सभी शक्तियों का आह्वान माना जाता है।
कन्या पूजन में अर्पित किया जाने वाला भोग
- कन्याओं को हलवा, चना और पूड़ी का भोग दिया जाता है। यह भोजन नौ देवियों का प्रतीक माना जाता है।
- मिठाई के रूप में खीर या गुलाब जामुन भी दिया जा सकता है।
- कन्याओं को फल और नारियल देना भी शुभ होता है, जिससे माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
एक ही दिन अष्टमी और नवमी होने का महत्व
अष्टमी और नवमी तिथियों का एक साथ आना इस वर्ष को खास बनाता है। इस दिन देवी के दो रूपों की पूजा से जीवन में शक्ति और सिद्धि का अद्वितीय संयोग प्राप्त होता है। भक्तजन विशेष रूप से इस दिन माता के आशीर्वाद के लिए कन्या पूजन और हवन कर सकते हैं, जिससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
इस शुभ अवसर पर देवी की पूजा विधि-विधान के अनुसार करें, और भोग अर्पण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।